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Manoj Kumar का निधन: भारतीय सिनेमा का एक सितारा अस्त हो गया

By Sohrab Ziya

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मनोज कुमार का निधन: भारतीय सिनेमा का एक सितारा अस्त हो गया

भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार का निधन

हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग के प्रतिष्ठित अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार का निधन हो गया है। उन्होंने अपने अभिनय और देशभक्ति से ओत-प्रोत फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई थी। उनके निधन की खबर से पूरा फिल्म जगत और उनके प्रशंसक शोक में डूब गए हैं।

मनोज कुमार का जीवन परिचय

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई, 1937 को अविभाजित भारत के अब्दुल खालिक (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनका वास्तविक नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी था। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया, जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। बचपन से ही उन्हें फिल्मों का शौक था और वह बॉलीवुड में अपना करियर बनाने के लिए मुंबई आ गए।

बॉलीवुड में उनका सफर

मनोज कुमार ने अपने करियर की शुरुआत 1957 में फिल्म फैशन से की, लेकिन उन्हें पहचान 1961 में आई फिल्म हरियाली और रास्ता से मिली। उन्होंने वक्त (1965), हिमालय की गोद में (1965), उपकार (1967), पूरब और पश्चिम (1970), बेईमान (1972), रोटी कपड़ा और मकान (1974) और क्रांति (1981) जैसी कई यादगार फिल्मों में अभिनय किया।

उन्हें “भारत कुमार” के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकि उनकी अधिकांश फिल्मों में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी होती थी। उपकार और क्रांति जैसी फिल्मों ने उन्हें देशभक्ति के प्रतीक के रूप में स्थापित कर दिया।

पुरस्कार और सम्मान

मनोज कुमार को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया:

  • फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड (उपकार के लिए)
  • पद्म श्री (1992) – भारत सरकार द्वारा
  • दादा साहब फाल्के पुरस्कार (2016) – भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए

मनोज कुमार का निधन

मनोज कुमार लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। 7 फरवरी, 2024 को उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर सुनकर बॉलीवुड के कई दिग्गज कलाकारों और प्रशंसकों ने शोक व्यक्त किया।

विरासत

मनोज कुमार ने हिंदी सिनेमा को एक नई दिशा दी। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन करती थीं, बल्कि देशप्रेम और सामाजिक संदेश से भरी होती थीं। आज भी “मेरा देश बदल रहा, आगे बढ़ रहा” जैसे उनके डायलॉग लोगों के ज़हन में ताज़ा हैं।

उनका जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी फिल्में और यादें हमेशा हमारे साथ रहेंगी।

श्रद्धांजलि:
“देशभक्ति की भावना को सिनेमा के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाने वाले महान कलाकार को कोटि-कोटि नमन।”


मनोज कुमार की जीवनी: भारतीय सिनेमा के ‘भारत कुमार’

प्रारंभिक जीवन

मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान) के अब्दुल खालिक नामक स्थान पर हरिकिशन गिरि गोस्वामी के नाम से हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया।

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। बचपन में दिलीप कुमार की फिल्म ‘शबनम’ देखकर उन्होंने अभिनेता बनने का सपना देखा और अपना नाम बदलकर ‘मनोज कुमार’ रख लिया (यह नाम दिलीप कुमार की फिल्म ‘शबनम’ के किरदार से प्रेरित था)।

फिल्मी करियर की शुरुआत

  • 1957 में फिल्म ‘फैशन’ से डेब्यू किया, लेकिन फिल्म फ्लॉप रही।
  • 1961 में ‘हरियाली और रास्ता’ से पहचान मिली।
  • 1965 की फिल्म ‘वक्त’ में उनकी भूमिका ने उन्हें स्टार बना दिया।

देशभक्ति फिल्मों का ‘भारत कुमार’

मनोज कुमार को ‘भारत कुमार’ का खिताब मिला, क्योंकि उनकी अधिकतर फिल्मों में देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी होती थी:

  • उपकार (1967): देशभक्ति पर आधारित यह फिल्म उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई।
  • पूरब और पश्चिम (1970): NRI संस्कृति और भारतीय मूल्यों पर केंद्रित फिल्म।
  • रोटी कपड़ा और मकान (1974): समाजवादी विषय पर आधारित सुपरहिट फिल्म।
  • क्रांति (1981): स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित ब्लॉकबस्टर।

निर्देशक के रूप में

मनोज कुमार ने ‘उपकार’, ‘शहीद’, ‘पूरब और पश्चिम’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया। उनकी फिल्में न केवल मनोरंजन करती थीं, बल्कि सामाजिक संदेश भी देती थीं।

पुरस्कार और सम्मान

  • 1968: फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड (‘उपकार’ के लिए)
  • 1992: पद्म श्री से सम्मानित
  • 2016: दादा साहब फाल्के पुरस्कार (भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए)

निजी जीवन

मनोज कुमार ने 1963 में शशि गोस्वामी से शादी की। उनके दो बेटे हैं – विशाल और कुनाल

अंतिम समय

मनोज कुमार का 7 फरवरी 2024 को मुंबई में निधन हो गया। वह लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।

विरासत

मनोज कुमार ने भारतीय सिनेमा को देशभक्ति, समाजवाद और मानवीय मूल्यों से जुड़ी फिल्में दीं। आज भी उनकी फिल्में और डायलॉग्स (“मेरा देश बदल रहा…”) लोगों के दिलों में जिंदा हैं।

“मैंने हमेशा ऐसी फिल्में बनाईं जो देश के लिए गर्व का एहसास दिलाएं।”
– मनोज कुमार

क्या आपने मनोज कुमार की कोई फिल्म देखी है? हमें कमेंट में बताएं!

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